बाल मनोविज्ञान विषय में बालक के व्यवहार का वैज्ञानिक अध्ययन किया
जाता है बालक के व्यवहार से संबंधित अनेक पक्ष होते हैं ।
प्राणी के जीवन का प्रारम्भ जन्म के समय नहीं , बल्कि
जन्म से पहले गर्भाधान के समय में ही हो जाता है , जन्म को उसके
विकास क्रम में घटित होने वाली एक अद्भुत किन्तु स्वाभाविक घटना होनी चाहिए ।
जब वह आंतरिक वातावरण से निकलकर ब्राह्म वातावर से संपर्क में आता है
, प्राणियों में विकास का प्रारम्भ गर्भाधान के बाद ही हो जाता है ,
और
जीवन भर किसी ना किसी रूप में चलता रहता है । उनके जीवन प्रसार में शारीरिक एवं
मानसिक क्षमताओं के स्वरूप में जो क्रमिक परिवर्तन उत्पन्न होते रहते हैं ,
इनका
अध्ययन मनोविज्ञान के अंदर किया जाता है ।
बाल मनोविज्ञान , बालकों की क्षमताओं का अध्ययन करता है
। बालक के अंदर कौन कौन सी क्षमताएं है ,
उसके
स्वभाव एवं आदि प्रश्नों के उत्तर ढूंढने
का उद्देश्य बाल मनोविज्ञान का है ।
बालकों की क्षमताओं और क्रियाओं को दो भागों में बांटा जा सकता है -
शारीरिक और मानसिक । बालक के शारीरिक के अंतर्गत उसके आकर , आकृति और भार
तथा शारीरिक अवयवों में क्रियाओं का संचालन आ जाता है , और मासिक क्रिया
के अंतर्गत संवेदना , स्मृति , बुद्धि, भाषा नैतिकता और सामाजिकता की समस्याएं शामिल होता हैं।
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