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15 अक्टूबर 2023 को मनाएं "मिशन शक्ति" दिवस पढ़ें ...
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परिषदीय विद्यालयों के लिए विद्यालय संचालन एवं पढ़ाई का समय निर्धारण
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सत्संग ज्ञानामृत
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*🛕 सत्संग / कथा ज्ञानामृत 🛕* *⚛️मन की दशा⚛️* एक बार एक सेठ ने पंडित जी को निमंत्रण किया पर पंडित जी का एकादशी का व्रत था तो पंडित जी नहीं जा सके पर पंडित जी ने अपने दो शिष्यो को सेठ के यहाँ भोजन के लिए भेज दिया..। पर जब दोनों शिष्य वापस लौटे तो उनमे एक शिष्य दुखी और दूसरा प्रसन्न था! पंडित जी को देखकर आश्चर्य हुआ और पूछा बेटा क्यो दुखी हो -- क्या सेठ नेभोजन मे अंतर कर दिया ? "नहीं गुरु जी" क्या सेठ ने आसन मे अंतर कर दिया ? "नहीं गुरु जी" क्या सेठ ने दच्छिना मे अंतर कर दिया ? "नहीं गुरु जी ,बराबर दच्छिना दी 2 रुपये मुझे और 2 रुपये दूसरे को" अब तो गुरु जी को और भी आश्चर्य हुआ और पूछा फिर क्या कारण है ? जो तुम दुखी हो ? तब दुखी चेला बोला गुरु जी मै तो सोचता था सेठ बहुत बड़ा आदमी है कम से कम 10 रुपये दच्छिना देगा पर उसने 2 रुपये दिये इसलिए मै दुखी हूं !! *अब दूसरे से पूछा तुम क्यो प्रसन्न हो ?* तो दूसरा बोला गुरु जी मे जानता था सेठ बहुत कंजूस है आठ आने से ज्यादा दच्छिना नहीं देगा पर उसने 2 रुपए दे दिये तो मैं प्रसन्न हूं ...! बस यही हमारे